युवा कवि आतिश की पैदाइश गाजीपुर (उ।प्र.) की रही। घर मे पहले से ही पढ़ने-लिखने का माहौल था और साहित्यिक संस्कार और समझ अपनी माँ से हासिल हुए। दिल्ली मे ग्रेजुएशन के लिये आये और तब से इसी शहर के हो कर रह गये। आतिश ने बायोटेक से स्नातक की उपाधि प्राप्त की है। पहली बार जगजीत सिंह की गायी मिर्जा ग़ालिब की ग़ज़लें सुनते हुए ग़ालिब को समझने की ललक जागी। फिर उनकी शायरी का सफ़हा-दर-सफ़हा खूबसूरत सफ़र इतना दिलचस्प और मानीखेज लगा कि शायरी से गहरा रिश्ता कायम हो गया। उसके बाद रही कसर गुलज़ार साहब की नज़्मों ने पूरी कर दी। तब से गज़लों, नज्मों और कविताओं से शुरू हुआ सिलसिला बदस्तूर जारी है। गुलज़ार के अलावा निदा फ़ाज़ली, दुष्यंत कुमार, बच्चन और कुँअर बेचैन की रचनाओं ने भी गहरा असर डाला है। आतिश नज्मों-कविताओं के अलावा स्क्रिप्ट राइटिंग, अनुवाद वगैरह से भी जुड़े हैं। कई गज़लें-नज़्में पत्र-पत्रिकाओं मे प्रकाशित भी हुई हैं। किसी दिन मुम्बई जा कर खुद की स्क्रिप्टों पर काम करने की ख्वाहिश है। साथ ही अपनी मातृभाषा भोजपुरी को भी कला-साहित्य मे इज्जत दिलाने का मंसुबा भी रखते हैं। फिलहाल अपनी पहचान बनाने की कोशिश और तलाश जारी है। हिंद-युग्म पर एक कवि और पाठक के तौर पर खासे सक्रिय रहे हैं।
इनसे संपर्क का पता है।
सम्पर्क: 8826308023
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