मगन भया संसार में - माया चारों ओर
ढूंढत ढूंढत मर गए - मिला ना दूजा छोर |
साधू को सोहे नहीं - चूल्हा तवा परात
हरी की पूंजी बहूत है - वोही जाएगी साथ |
सुख का भी क्या भोगना - कहें फकीरी बात
जितना लम्बा दिन भया - उससे लम्बी रात |
मरना पक्का है मगर , जीने की कर बात
आएगी जब आएगी - फिर क्यों देखे बाट |
नहीं रहना संसार में - अब क्या सोचो नाथ
बिनती मेरी मान ले - ले चल अपने साथ |
- सतीश शर्मा
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