मेरी झोली में
सपने ही सपने भरे
ले-ले आ कर वही
जिसका भी जी
करे.
एक सपना है
फूलों की बस्ती का
एक सपना है
बस मौज मस्ती
का,
मुफ्त की चीज है
फिर कोई क्यों डरे?
एक सपना है
रिमझिम फुहारों
का
एक सपना है
झिलमिल सितारों का
एक सपना जो
भूखे का पेट भरे.
ले-ले
आ कर वही
जिसका भी जी करे.
- रमेश तैलंग ( वरिष्ठ बाल-साहित्यकार)
साभार :- http://balduniya.blogspot.in/
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