सुपरिचित
लेखिका एवं गुरुकुल कांगडी विश्वविद्यालय, हरिद्वार की अध्यापिका डॉ.
मृदुला जोशी की आलोचनात्मक कृति 'कविता की अंतर्यात्रा' हाल ही में
प्रगतिशील प्रकाशन, दिल्ली से छप कर आयी है । कृति में कबीर, प्रसाद,
दिनकर, नागार्जुन, अज्ञेय, धर्मवीर भारती, डॉ. जगदीश गुप्त को नये
दृष्टिकोण से देखा-परखा गया है । साध ही समकालीन हिंदी कविता पर गंभीर
विश्लेषण भी पठनीय है । इस कृति का विमोचन 12 से 19 तक यूएई में होनेवाले 6
ठा अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन में होना सुनिश्चित हुआ है । कृतिकार को
बधाई ।
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