दीपावली नाम है भव्यता का, ऐसा लगता है मानो पूरा तारामंडल जमीन पर उतर आया हो।
बाजार अचानक मिठाईयों, कपड़े, बर्तनों और जेवरों की जगमगाहट से भर जाते हैं।
विविधता के वाबजूद यह एक ऐसा त्योहार है जो कि भारत भर में किसी न किसी रूप में
मनाया जाता है।
इस त्योहार की एक आम बात जो हर जगह देखने को मिलती है वह है वह रोशनी की
जगमगाहट और पटाखों का शोर। पूरा देश राकेट, चकरी, बम, फुलझड़ियां की जगमगाहट से भर
जाता है। देखने और सुनने में तो यह मन मोह लेता है, पर यह पर्यारण के लिए बिलकुल
शुभ नहीं है। एक तरफ आतिशबाजी पर्यावरण को नुकसान पहुँचाती है दूसरी तरफ दीपक और
मोमबत्ती का प्रयोग कम कर घरों को बिजली से सजा दिया जाता है। इससे बिजली के संकट
से गुजर रहे देश में पल भर की जगमगाहट आने वाली कुछ दिनों में बिजली का संकट बन
हमारे सामने आती है।
पटाखे घातक रसायन कॉकटेलआतिशबाजी तांबा, पोटेशियम नाइट्रेट, कार्बन, सीसा,
जस्ता, कैडमियम और सल्फर का एक घातक कॉकटेल है, जिसके जलाएं जाने पर कार्बन
डाइऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड जैसी हानिकारक गैसों का उत्सर्जन होता हैं. यह भारी
वायु प्रदूषण का कारण बनती है और हमारे स्वास्थ्य के लिए खतरों का कारण।
वयोवृद्ध लोगों को पटाखों के कारण निम्नलिखित समस्याएं हो सकती है, जैसे- तेज
आवाज में छूटने वाले पटाखों के कारण सुनने में कठिनाई, स्ट्रैस लेवल बढ़ने से उच्च
रक्तचाप की शिकायत, हानिकारक धुँए से साँस लेने में कठिनाई, पटाखों से उत्सर्जित
रसायनों के कारण त्वचा की एलर्जी, वातावरण में चारों तरफ धुँआ होने के कारण नेत्रों
में सूजन।
इको फैंडली दीपावलीपिछले कुछ वर्षों में दीवाली मनाने के तरीकों में थोड़ा
फर्क आया है। पर्यावरण के बढ़ती जागरूकता के लिए ज्यादा शोर, धुँआ छोड़ने वाले
पटखों की बिक्री में कमी आई है। बड़े शहरों में पिछले साल पैतिस प्रतिशत से ज्यादा
जहरीले पटाखों बिक्री में कमी आई है।
आइए देखते हैं कि पारिस्थिकी के अनुकूल दीवाली कैसे मना सकते हैः
• घर को बिजली के बल्ब की जगह मिट्टी के दियों से रोशन करें। इससे कुम्हारों
के व्यापार में वृद्धि आएगी, साथ ही बिजली की बचत होगी।
• अगर आपको लगता है कि तेज आवाज के पटाखों के बिना दीवाली का क्या मजा तो अपने
अड़ोसियो-पड़ोसियों के साथ मिलकर पटाखे फोड़े इससे एक सीमित दायरे में प्रदूषण
फैलेगा।
• हरदम कम तीव्रता वाले पटाखें खरीदें। वे पटाखे खरीदें जिनसे हानिकारक रसायन
धुएं के साथ उत्सर्जित न होते हों।
• पटाखे ऐसे खरीदें जिनमें प्रकाश तो मन मोह लेने वाला हो, परंतु शोर अपनी
सीमा पार न करे। इस तरह आप अपनी खुशियों का आनंद भी ले सकते हैं साथ ही पर्यावरण को
हानि भी नहीं पहुँचेगी।
बहुत सारे पटाखा निर्माताओं ने इको फ्रैंडली पटाखों का उत्पादन शुरू कर दिया
है जो प्रकाश तो भरपूर देते है लेकिन शोर और धुँआ ज्यादा नहीं करते। अब तो
bio-degradable पटाखों का उत्पादन भी शुरू हो गया जो जलाने पर आकाश में बहुरंगी छटा
बिखेर देते है, पर पर्यावरण को ज्यादा नुकसान नहीं पहुँचाते।
पटाखे छोड़ते समय निम्न बातों का ध्यान
अवश्य रखें-
• माता-पिता की देख-रेख में ही बच्चे पटाखे फोड़े।
• घने और भीड़-भाड़ वाले इलाकों में पटाखे छोड़ने से बचें। उन्हें खुले
स्थानों पर ही जलाएं।
• हाथ में पकड़कर कभी आतिशबाजी न चलाएं।
• जलाने से पहले यह सुनिश्चित कर ले कि लोग आतिशबाजी की सीमा के बाहर
हों।
• आतिशबाजी करते समय यदि आँख घायल हो जाए, तो आँख के ऊपर कॉटन पैड रख लें और
तुरंत नेत्र विशेषज्ञ से सलाह लें।
• जहां आतिशबाजी जलाई जा रही हो, उस जगह से बिना जले हुए पटाखे दूर रखे। किसी
आपातस्थिति से बचने के लिए एक पानी से भरी बाल्टी पास में अवश्य रखे।
• कभी भी किसी कंटेनर के अंदर रख कर बम न फोड़े, विशेषतः काँच या धातु का
कंटेनर बिलकुल नहीं होना चाहिए।• ढीले कपड़े पहनकर आतिशबाजी कभी न करें।
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लेखक
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प्रतिभा वाजपेयी
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Monday, November 12, 2012
आइए इको फ्रैंडली दीपावली मनाएं !
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