Friday, July 27, 2012

हर्षवर्धन आर्य की दो कवितायेँ !

हर्षवर्धन आर्य की कलाकृति

ममता
ममता का कोई धर्म नहीं होता ,
और, ना होती जाति माँ की ,
आँचल ही है उसकी पहचान
स्नेह ही है उसका धर्म
जैसे ,एक फूल का धर्म है खिलना .
जैसे एक नदी का धर्म है बहना.
जैसे ,एक पेड़ का धर्म है छाया देना ….
खिलती है माँ भी बच्चों को देख ,
बहाती है नेह क्षीर .
देती है आँचल की छाया ,
सदा -सदा ,
सचमुच ही
यदि , वह है…..माँ …..
तो………!

बेटियां धरती की

बेटियां धरती की
कब कैद हो पाई है
ख़ुशबू फूलों की,
तितलियाँ कब रुकी हैं
उड़ने से ,
ज्योंही खुलता है पिंजरा… ज़रा सा –
उड़ जाती हैं चिड़ियाँ
खुले आकाश में ,
और नानी माँ की रोचक– मनहर कहानियों के
तिलिस्मी संसार से
निकल आईं हैं बाहर
सारी परियां ……
नहीं रही हैं मात्र कल्पना की उड़ान
अपितु उड़ रही है सच्ची –मुच्ची की कल्पना (चावला )
असीम आकाश में …
जाती है चाँद के आँगन में सुनीता विलियम्स ’
खेलती है सितारों को बना कर सटापू*
झूलती है स्पेस-शटल में ’”नाओकोयामाजाकी ”*
गुनगुनाती है चंदा के कान में “ लिंडन बर्गर ”*
और “ट्रेस डायसन ” करती है गुदगुदी
गगन के बदन पर
स्कीइंग करती है शून्य में “स्टेफनी विल्सन ”
और ….ना जाने कितनी ही
सृजनरत सृजनाएं
धरती के आँचल से
उड़ कर
अंतरिक्ष के अंगना में
लिख रही हैं नाम सितारों पर…..
फैला रही हैं धरती की ख़ुशबू
सुदूर अंतरिक्ष में
ये नन्ही तितलियाँ
आजाद परियां
बेटियां धरती की !

हर्षवर्धन आर्य (कवि एवं चित्रकार )

१४ मई १९७२ की प्रभात बेला में हरियाणा के रोहतक जिले स्थित शास्त्री नगर में श्री हर्षवर्धन आर्य का जन्म हुआ। श्री आर्य की बचपन से ही कला में अत्यंत रूचि रही और सुरुचिवश अपने आस -पास के परिवेश से कला का अध्ययन एवम अनुप्रयोग करते रहे । आप की माता श्रीमती मूर्ति देवी अत्यंत धार्मिक प्रवृति की स्नेहमयी माँ हैं। एवम पिताश्री रामप्रकाश आर्य जो अत्यंत कर्मठ विचारवान और सिद्धांतवादी प्रकृति एवम धार्मिक प्रवृति के व्यक्ति हैं ! इन दोनों की प्रकृति एवम प्रवृति का आपके जीवन (कला,साहित्य और चिंतन ) पर गहरा प्रभाव है ।व्यवसाय से स्वर्णकार ,मन से चित्रकार और आत्मा से कवि श्री आर्य अपनी कला और कविता से सबको आनंदमग्न करने का सद्प्रयास करते हैं !आपने अपनी चित्र कृतियों में कई प्रयोग किये हैं और उनके साथ काव्यात्मक संवाद स्थापित किया है ! साहित्य अकादेमी (संस्कृति मंत्रालय )द्वारा प्रदत फैलोशिप (दो वर्षीय अध्येयतावृति ) हेतु भी आपका विषय “कला और कविता :परस्पर संवाद “था , जिसमे आपने कलाकृतियों पर कविता लिखने के साथ -साथ प्रख्यात चित्रकारों सर्वश्री एस।एच।रज़ा ,एम।एफ. हुसैन ,जी .आर.संतोष ,आर .के .यादव ,मंजीत बावा ,विजेंद्र शर्मा तथा अजय समीर प्रमुख हैं श्री आर्य ने अनेक महत्वपूर्ण कला दीर्घाओं में आयोजित कलाप्रदर्शनों में अपनी चित्रकृतियों को प्रदर्शित किया है जिनमे इंडिया हैबीटेट सेंटर ,विज्ञान भवन, आईफैक्स ,ललित कला दीर्घा ,आर्ट मॉल, माटीसृजन ,पूर्वा सांस्कृतिक केंद्र ,इन्द्रधनुष(पंचकूला) ,हरियाणा कला परिषद भवन (कुरुक्षेत्र ) आदि प्रमुख हैं ! इसके अतिरिक्त आइफैक्स ,हरियाणा कला परिषद , अवंतिका ,गढ़ीस्टूडियो द्वारा आयोजित कला शिविरों में भी भागीदारी रही है ।कवि के रूप में आप कि कवितायेँ अनेक पत्र -पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही हैं ! ” दिन के उजाले में ” कविता संग्रह, सच्चे मोती (बाल कवितायेँ), कविता फलक (चित्र कृतिओं एवम कविताओं का संपादन ) प्रमुख हैं ! इस के अतिरिक्त आपकी कवितायेँ ,चित्र कृतियाँ , रेखांकन अनेक प्रमुख पत्रिकाओं की शोभा बढ़ा रहे हैं.जिनमे मुख्य हैं इंडियन लिटरेचर , समकालीन साहित्य अक्षरम संगोष्ठी ,प्रवासी दुनियाँ ,मसि कागद ,साहित्यअमृत आदि हैं आपकी कला कृतियों और कविताओं का दूरदर्शन(डी .डी .-१,डी.डी.भारती , डी.डी. हिसार ,एवम आकाशवाणी के राष्ट्रीय चैनल ,क्षेत्रीय चैनल आदि) से अनेक बार प्रसारण होता रहा है।आज-कल आप रोटरी क्लब दिल्ली अपटाउन के साप्ताहिक पत्र “अपटाउन न्यूज “के संपादक हैं तथा ” श्री विष्णु प्रभाकर जन्मशती समारोह समिति “के सचिव हैं! आपको संस्कृति मंत्रालय एवम साहित्य अकेडमी की जू.फेलोशिप के अतिरिक्त हिंदी अकादेमी दिल्ली का नवलेखन पुरस्कार ,आशुलेखन पुरस्कार ,प्रज्ञा सम्मान ,कलाश्री सम्मान ,काव्य महारथी सम्मान ,एशियन अकेडमी द्वारा अकेडमी अवार्ड सहित कला-साहित्य के क्षेत्र में अनेक सम्मान मिलें हैं ।

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