जब तक है साँस
जब तक सब है साथ
जब रुक गई साँस
कोई नहीं रहेगा तेरे साथ
इसलिए विचार...
क्या रहेगा तेरे साथ
साँस रुकने के बाद ...
बस उस पर कर विश्वास
और उसी को बनाये रखने का
कर प्रयास --- अपने साथ
क्षणिक भावों पर मत दे ध्यान
लक्ष्य निर्धारित कर –
बस उसी पर रख अपनी आँख
कोई बोले कुछ भी
समता से लो उसका संज्ञान
मरण को सुधरने की मत कर बात
करण सुधरने का कर विचार
समता से सुधरता वर्तमान
और भविष्य भी बनता वर्धमान ...
इतनी ले तू बस बात मान –
जो दिख रहा साथ
छूट जायेगा ये सब – जब रुक जाएगी साँस
कषाय भाव को तजकर
समता से लगा आत्म तत्व पर ध्यान
पा लेगा तुरंत आनंद
और परंपरा से मिल जायेगा केवलज्ञान ...
बस समता ही है सब दुःख का इलाज
कौन किसके साथ
“कौन किसके साथ” ?
- श्रवण दुबे
जब तक सब है साथ
जब रुक गई साँस
कोई नहीं रहेगा तेरे साथ
इसलिए विचार...
क्या रहेगा तेरे साथ
साँस रुकने के बाद ...
बस उस पर कर विश्वास
और उसी को बनाये रखने का
कर प्रयास --- अपने साथ
क्षणिक भावों पर मत दे ध्यान
लक्ष्य निर्धारित कर –
बस उसी पर रख अपनी आँख
कोई बोले कुछ भी
समता से लो उसका संज्ञान
मरण को सुधरने की मत कर बात
करण सुधरने का कर विचार
समता से सुधरता वर्तमान
और भविष्य भी बनता वर्धमान ...
इतनी ले तू बस बात मान –
जो दिख रहा साथ
छूट जायेगा ये सब – जब रुक जाएगी साँस
कषाय भाव को तजकर
समता से लगा आत्म तत्व पर ध्यान
पा लेगा तुरंत आनंद
और परंपरा से मिल जायेगा केवलज्ञान ...
बस समता ही है सब दुःख का इलाज
कौन किसके साथ
“कौन किसके साथ” ?
- श्रवण दुबे
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