Saturday, June 6, 2015

तुम हो !

हवाओं की ताजगी तुम हो, 
मासूम आज भी तुम हो, 
गुलाबों की खुशबु तुम हो, 
बला का जादू तुम हो !  

सागर सी धीर तुम हो, 
झरनों का नीर तुम हो, 
कामदेव का तीर तुम हो, 
हुस्न की नजीर तुम हो !  

फूलों सी कोमल तुम हो, 
गंगा सी निर्मल तुम हो, 
अद्भुत इक मोती तुम हो, 
मेरे जीवन की ज्योति तुम हो !!  

- संजीव मित्तल

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