एक प्रश्न किया था हमने
प्यार का तासीर है कैसा
कटु,निबोडी पीर जैसा
दूध चीनी की खीर जैसा
या नैनन अश्क नीर जैसा ?
गर्म-गर्म पकौड़े जैसा
या चमड़े के कोड़े जैसा
बिन लगाम के घोड़े जैसा
या गोविंद रण-छोड़े जैसा?
नर्म मुलायम रेशम जैसा
भाग्य- सितारा चमचम जैसा
सावन बून्द झर झमझम
जैसा
या जख्म पुते मरहम जैसा?
भिन्न -भिन्न विचारों ने
भिन्न -भिन्न मत दिए
विपरीत संस्कारों ने
हृदय क्षत-विक्षत किये
असीम श्रदायुक्तों ने
मस्तक नत- किये !!
कई एक विचारों ने
तोड़ कर मरोड़ दिया
स्वयं के दुश्चिंतन-पथ पर
ला कर तन्हां छोड़ दिया!!
वीना उपाध्याय
मुज़फ्फरपुर बिहार
No comments:
Post a Comment