हम बस आपसे निवेदन करते हैं,
कि प्रत्येक शहर में एक लाइब्रेरी होती है
और हमारे शहर इलाहाबाद में भी एक लाइब्रेरी है
जो अब कबूतरों और धूल का अड्डा बन चुकी है
कभी गुलजार रहने वाले उनके बगीचे
अब घास और झाड़ियों से अटे पड़े हैं
और साइकिल स्टैण्ड जुआरियों
और नशेडियों की पनाहगाह।
ऐसा लगता है मानो पिछले कई दशकों से
किसी भी सरकार ने उनकी सुध लेने की नहीं सोची
कही पर मालवीय जी के नाम पर बना
पुस्तकालय जर्जर खड़ा है
तो कहीं पर टैगोर, गाँधी और विवेकानन्द जी के
नाम पर बना पुस्तकालय
तालों के पीछे अपने समृद्ध इतिहास को
ओढ़े उदास सा खड़ा है
हर शहर में ऐसी लाइब्रेरी होती थी
जो अब वीरान पड़ी है
या फिर विकास के रास्ते से भटक चुकी है
अब वक्त आ गया है कि
मुख्यमंत्री जी आप स्वयं
उन स्थानों का गौरव फिर से लौटाने का प्रयत्न करें
ताकि नई पीढ़ी को भी शहर के कौतुहल में
दिमागी कसरत के लिए माहौल मिल सके ।
(क्योंकि पढ़ेगा इण्डिया तभी तो बढ़ेगा इण्डिया)
कि प्रत्येक शहर में एक लाइब्रेरी होती है
और हमारे शहर इलाहाबाद में भी एक लाइब्रेरी है
जो अब कबूतरों और धूल का अड्डा बन चुकी है
कभी गुलजार रहने वाले उनके बगीचे
अब घास और झाड़ियों से अटे पड़े हैं
और साइकिल स्टैण्ड जुआरियों
और नशेडियों की पनाहगाह।
ऐसा लगता है मानो पिछले कई दशकों से
किसी भी सरकार ने उनकी सुध लेने की नहीं सोची
कही पर मालवीय जी के नाम पर बना
पुस्तकालय जर्जर खड़ा है
तो कहीं पर टैगोर, गाँधी और विवेकानन्द जी के
नाम पर बना पुस्तकालय
तालों के पीछे अपने समृद्ध इतिहास को
ओढ़े उदास सा खड़ा है
हर शहर में ऐसी लाइब्रेरी होती थी
जो अब वीरान पड़ी है
या फिर विकास के रास्ते से भटक चुकी है
अब वक्त आ गया है कि
मुख्यमंत्री जी आप स्वयं
उन स्थानों का गौरव फिर से लौटाने का प्रयत्न करें
ताकि नई पीढ़ी को भी शहर के कौतुहल में
दिमागी कसरत के लिए माहौल मिल सके ।
(क्योंकि पढ़ेगा इण्डिया तभी तो बढ़ेगा इण्डिया)
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