अमरीका जाओ या चीन जाओ पापा ।
होमवर्क करने की मशीन लाओ पापा ।
सारा-सारा दिन तो
स्कूल में गुजरता
होमवर्क करने को
समय कहाँ बचता ?
टीचरजी को जाकर समझाओ पापा ।
काम नहीं पूरा हो तो
तो पिटाई झेलो
कोई नहीं कहता कि
जाओ, भाई खेलो ।
सोचो, सोचो, कुछ चक्कर चलाओ पापा ।
- बालकवि रमेश तैलंग जी की एक बाल कविता
बहुत ख़ूबसूरत प्रस्तुति, आभार.
ReplyDeleteकृपया मेरे ब्लॉग"meri kavitayen " पर भी पधारने का कष्ट करें.