जिस गीली मिट्टी से वो बंदूक बनाने वाले थे,
कईं खिलौने उस मिट्टी से जनता ने बनवाये जी ।
खबर छपी थी हरम के मालिक मौतों के सौदागर हैं,
खबर छपी थी हरम के मालिक मौतों के सौदागर हैं,
रब जाने मासूम यहां पर किससे मिलने आये जी ।
हिरणी के आगोश में बैठा उसका बच्चा सोच रहा,
हिरणी के आगोश में बैठा उसका बच्चा सोच रहा,
नदिया की नदिया जहरीली, ये कैसे दिन आये जी ।
हवा ने फिर पीपल को शायद कोई खबर सुनाई है,
हवा ने फिर पीपल को शायद कोई खबर सुनाई है,
पत्तो ने जो जोर-जोर से पंछी निरे उड़ाये जी ।
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