वह प्राइमरी स्कूल की टीचर थी |
सुबह उसने बच्चो का टेस्ट लिया था
और उनकी कॉपिया जाचने के लिए
घर ले आई थी | बच्चो की कॉपिया
देखते देखते उसके आंसू बहने लगे | उसका पति वही लेटे TV देख रहा था |
उसने रोने का कारण पूछा ।
टीचर बोली , “सुबह मैंने बच्चो को
‘मेरी सबसे बड़ी ख्वाइश’ विषय पर कुछ
पंक्तिया लिखने को कहा था ; एक बच्चे
ने इच्छा जाहिर करी है की भगवन उसे
टेलीविजन बना दे |
यह सुनकर पतिदेव हंसने लगे |
टीचर बोली , “आगे तो सुनो बच्चे ने
लिखा है यदि मै TV बन जाऊंगा, तो
घर में मेरी एक खास जगह होगी और
सारा परिवार मेरे इर्द-गिर्द रहेगा |
जब मै बोलूँगा, तो सारे लोग मुझे ध्यान से सुनेंगे | मुझे रोका टोका नहीं जायेंगा
और नहीं उल्टे सवाल होंगे |
जब मै TV बनूंगा, तो पापा ऑफिस से
आने के बाद थके होने के बावजूद मेरे
साथ बैठेंगे | मम्मी को जब तनाव होगा,
तो वे मुझे डाटेंगी नहीं, बल्कि मेरे साथ
रहना चाहेंगी | मेरे बड़े भाई-बहनों के
बीच मेरे पास रहने के लिए झगडा होगा |
यहाँ तक की जब TV बंद रहेंगा, तब भी
उसकी अच्छी तरह देखभाल होंगी |
और हा, TV के रूप में मै सबको ख़ुशी
भी दे सकूँगा | “
यह सब सुनने के बाद पति भी थोड़ा
गंभीर होते हुए बोला ,
‘हे भगवान ! बेचारा बच्चा …. उसके
माँ-बाप तो उस पर जरा भी ध्यान नहीं
देते !’
टीचर पत्नी ने आंसूं भरी आँखों से
उसकी तरफ देखा और बोली,
“जानते हो, यह बच्चा कौन है? ………………………हमारा अपना बच्चा……
.. हमारा छोटू |”
सोचिये, यह छोटू कही आपका बच्चा
तो नहीं ।
मित्रों , आज की भाग-दौड़ भरी ज़िन्दगी
में हमें वैसे ही एक दूसरे के लिए कम
वक़्त मिलता है , और अगर हम वो भी
सिर्फ टीवी देखने , मोबाइल पर गेम
खेलने और फेसबुक से चिपके रहने में
गँवा देंगे तो हम कभी अपने रिश्तों की
अहमियत और उससे मिलने वाले प्यार
को नहीं समझ पायेंगे।
सुबह उसने बच्चो का टेस्ट लिया था
और उनकी कॉपिया जाचने के लिए
घर ले आई थी | बच्चो की कॉपिया
देखते देखते उसके आंसू बहने लगे | उसका पति वही लेटे TV देख रहा था |
उसने रोने का कारण पूछा ।
टीचर बोली , “सुबह मैंने बच्चो को
‘मेरी सबसे बड़ी ख्वाइश’ विषय पर कुछ
पंक्तिया लिखने को कहा था ; एक बच्चे
ने इच्छा जाहिर करी है की भगवन उसे
टेलीविजन बना दे |
यह सुनकर पतिदेव हंसने लगे |
टीचर बोली , “आगे तो सुनो बच्चे ने
लिखा है यदि मै TV बन जाऊंगा, तो
घर में मेरी एक खास जगह होगी और
सारा परिवार मेरे इर्द-गिर्द रहेगा |
जब मै बोलूँगा, तो सारे लोग मुझे ध्यान से सुनेंगे | मुझे रोका टोका नहीं जायेंगा
और नहीं उल्टे सवाल होंगे |
जब मै TV बनूंगा, तो पापा ऑफिस से
आने के बाद थके होने के बावजूद मेरे
साथ बैठेंगे | मम्मी को जब तनाव होगा,
तो वे मुझे डाटेंगी नहीं, बल्कि मेरे साथ
रहना चाहेंगी | मेरे बड़े भाई-बहनों के
बीच मेरे पास रहने के लिए झगडा होगा |
यहाँ तक की जब TV बंद रहेंगा, तब भी
उसकी अच्छी तरह देखभाल होंगी |
और हा, TV के रूप में मै सबको ख़ुशी
भी दे सकूँगा | “
यह सब सुनने के बाद पति भी थोड़ा
गंभीर होते हुए बोला ,
‘हे भगवान ! बेचारा बच्चा …. उसके
माँ-बाप तो उस पर जरा भी ध्यान नहीं
देते !’
टीचर पत्नी ने आंसूं भरी आँखों से
उसकी तरफ देखा और बोली,
“जानते हो, यह बच्चा कौन है? ………………………हमारा अपना बच्चा……
.. हमारा छोटू |”
सोचिये, यह छोटू कही आपका बच्चा
तो नहीं ।
मित्रों , आज की भाग-दौड़ भरी ज़िन्दगी
में हमें वैसे ही एक दूसरे के लिए कम
वक़्त मिलता है , और अगर हम वो भी
सिर्फ टीवी देखने , मोबाइल पर गेम
खेलने और फेसबुक से चिपके रहने में
गँवा देंगे तो हम कभी अपने रिश्तों की
अहमियत और उससे मिलने वाले प्यार
को नहीं समझ पायेंगे।
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